परशुराम द्वादशी: महिमा और महत्व

May 7, 2025
परशुराम द्वादशी: महिमा और महत्व

परशुराम द्वादशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो भगवान परशुराम को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।

वर्ष 2025 के लिए निर्धारित शुभ मुहूर्त

सन् 2025 में परशुराम द्वादशी गुरुवार, 8 मई को मनाई जाएगी। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि बुधवार, 7 मई को रात 11:59 बजे आरंभ होगी और शुक्रवार, 9 मई को सुबह 2:26 बजे समाप्त होगी। इस द्वादशी तिथि के दौरान व्रत और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त गुरुवार, 8 मई को सुबह 8:59 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक है।

अनुष्ठान की प्रक्रिया

पारशुराम द्वादशी के दिन, भक्त आमतौर पर दिन की शुरुआत सूर्योदय से पहले स्नान करके करते हैं और श्रद्धा से व्रत का संकल्प लेते हैं। कई लोग कठोर व्रत रखते हैं, जिसमें वे भोजन तो क्या, पानी तक ग्रहण नहीं करते, जबकि कुछ लोग फलाहार या सात्विक आहार लेकर व्रत का पालन करते हैं, जिसमें अनाज और दालों से परहेज किया जाता है।

मुख्य अनुष्ठान में भगवान परशुराम को समर्पित प्रार्थनाएँ और पूजा शामिल होती हैं। भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ वेदी पर स्थापित किया जाता है, जिसे पीले फूलों, चंदन और कुमकुम से सजाया जाता है। पीले रंग की मिठाइयाँ, फल और तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाते हैं। भक्तजन भगवान परशुराम के मंत्रों का जाप करते हैं, जैसे “ॐ नमो भगवते परशुरामाय” या परशुराम गायत्री मंत्र।

भगवान विष्णु या भगवान परशुराम को समर्पित मंदिरों की यात्रा करना इस दिन को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देना भी पुण्यदायक कार्यों में गिना जाता है। यह व्रत सामान्यतः अगले दिन सुबह की पूजा और प्रार्थना करने के बाद खोला जाता है।